आये क्यों थे – गए किसलिए, के प्रश्नों में घिरे रहे 2000 के नोट, जो अब हैं भी, नहीं भी!! (आलेख : बादल सरोज)

जितने धूम धड़ाके, आन-बान-शान और गुलाबी गरिमा के साथ प्राणवान हुए थे, उतनी ही फुस्स और अनुल्लेखनीय, निराश विदाई के साथ अनजान बनकर बेजान हो गए 2000 रुपये के नोट।…