देश का दुर्भाग्य है कि मीडिया के साथ साथ सत्ता और विपक्ष निरीह जनता को अंधी गूंगी समझते है । मगर जनता अंधी नहीं, आंधी है , कहने को तो गांधी सरीखी है, जो देखती है पर बोलती नहीं, सुनती है पर कहती नहीं, पर जब करती है, तो अच्छे अच्छो को निपटा देती है और आज छत्तीगढ़ के राजनैतिक हालात इस बात को सच साबित कर रहे है । विकास की बाते करते करते राजनैतिक दल मुफ्तखोर बनाती योजनाओं और कर्जमाफी जैसी घोषणाओं के शरण में है । पैदा होने से पहले और मरने के बाद तक की तमाम मुफ्तखोरी की योजनाओं के बावजूद विगत चुनाव में भाजपा की करारी हार ने कांग्रेस को भी सोचने पर विवश कर दिया था । वर्तमान में कांग्रेस सरकार के तमाम विकास के दावों , भरोसे के सम्मेलन के बावजूद कांग्रेस को कर्जमाफी जैसी सरकार पर कर्ज का बोझ बढ़ाती योजनाओं के शरण में जाना पड़ रहा है ।
हमारे देश का दुर्भाग्य है कि खद्दरधारियों को जनता केवल वोट देने वाली दुधारू गाय नज़र आती है इसके विपरीत जनता जनार्दन सोचती है कि हमारी सारे दुख दर्द और समस्या का हल सरकार है । जबकि वास्तविता में लोकतंत्र में जनता जनार्दन हैं और सरकार समस्याओं के निराकरण और विकास के लिए एक सिस्टम है । ऐसे में प्रदेश के डेढ़ करोड़ लोगों की हर समस्या का समाधान न भाजपा न कांग्रेस न जोगी कांग्रेस न आप के पास है पर भ्रष्टाचार मुक्त राज्य और मुफ्तखोर बनाती योजनाओं को बंदकर स्वावलंबी बनाती योजनाएं, रोजगार पैदा करते उद्योग, बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ एक बेहतर कल दे सकते है । विगत चुनाव में कांग्रेस द्वारा कर्ज माफी , बिजली बिल हाफ , शराब बंदी के नाम पर आए हुद हुद तूफान ने भाजपा को 15 सीट में समेट कर रख दिया था । कांग्रेस चुनाव के मद्देनजर फिर अपनी घोषणा कर्जा माफ पर पूरा ध्यान दे रहे है ताकि मिशन अबकी बार 75 पार में भाजपा को फिर पटखनी दे सके । चर्चा तो यह भी है कि प्रियंका गांधी के छत्तीसगढ़ आगमन पर गैस सिलेंडर को लेकर भी बड़ी घोंषणा कर मास्टर स्ट्रोक खेला जा सकता है । बहरहाल कांग्रेस के घोषणा को ले कर भाजपा की चिंता स्वाभाविक भी है पिछली बार 15 साला सरकार के खिलाफ एन्टी इनकंबेंसी और कांग्रेस के कर्जमाफी के वादे ने भाजपा की लुटिया डुबाई थी ऐसे में कर्जमाफी की काट खोजना भाजपा के लिए जरूरी भी है ।
किसी समय स्वर्गीय अजित जोगी द्वारा “खाओ पियो तन के वोट दो मन के ” का लगाया गया नारे से जनता जनार्दन होशियार हो चुकी है । ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर की विचारधारा वाले ग्रामीण घरों में आज भी दरवाजे के एक तरफ भाजपा तो दूसरी तरफ कांग्रेस के नारे दिख जाते है ।
वैसे भी लोकतंत्र में जनता एक क्षण जय -जयकार भी करती है, तो दूसरे क्षण जूता भी उछाल देती है । जनता नेताओं से कही अधिक बुद्धिमान होती है , क्यूंकि ये वही जनता है जो समय आने पर कैकेयी को गाली देती है तो राम को मनाने भरत के पीछे पीछे चल पड़ती , राम का राज्याभिषेक कर सकती है तो सीता के सतीत्व पर सवालिया निशान लगा अग्नि परीक्षा करा सकती है ।
और अंत में :-
हाल तो पूछती नही दुनिया जिंदा लोगों की ,
चले जाते है लोग जनाजे पर बारात की तरह ।
#जय_हो 27 अक्टूबर 2023 कवर्धा (छत्तीसगढ़)
चंद्र शेखर शर्मा (पत्रकार)9425522015